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दुनियाँ में संतान की प्राप्ति किसी भी परिवार के लिए सबसे उचित होती है , उसके जनम लेते ही एक परिवार की तो मानो
ज़िंदगी ही बदल जाती है , हर उमीद, हर प्यार उसी से शुरू होता है,और उसी पर ही ख़त्म हो जाता है ।
लेकिन अफ़सोस की बात तो यह है की कई लोगों को “माँ या बाप” बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो
पाता इसी के लिए आजकल मेडिकल की दुनिया में अलग अलग उपाए मौजूद है जिससे कोई भी महिला
“सरोगेट मां” बन सकती है और संतान को भी जनम दे सकती है।
इस का प्रयोग केवल माँ ही नहीं करती बल्कि पिता भी करते है। अभी हाल ही में आपने सुना होगा की
मशहूर डिरेक्टर और प्रडूसर “करण जौहर” ने भी इसी प्रॉसेस से ट्विन्स को सरोगेट माँ से जनम दिया है ।
आजकल हर समस्या का उपाए ज़रूर है,लेकिन उसके साथ साथ उसके बुरे परिणाम भी होते है, कई बार क्रिमिनल
और व्यापार की तरह भी इसको देखा जाता है।
क्या आप जानते है कि इस को “बेबी ट्रेड” का नाम दिया जाता है।
कई माएँ अपने शरीर को नुक़सान पहुँचा कर “बेबी ट्रेड “ से पैसे कमाती है।
उमीद है आप सबको पता होगा की भारत मे लिंग की जाँच करवाना क़ानूनी जुर्म है , लेकिन इसके बावजूद भी
अर्बन और रुरल जैसी जगाओं में ऐसा घिनोंना अपराद होता है।
“पारुल” और उसकी 8 साल की बेटी “देविका“ ,भारत के एक बहुत ही ग़रीब परिवार के दो लोग है,
जहाँ घर को चलाने के लिए “पारुल” दूसरे घरों में काम करती है , वही दूसरी तरफ़ उसका पति “राजू” सारा दिन
अपनी पत्नी
“पारुल” का कमाया हुआ पैसा शराब पर उजाड़ देता है ।
एक दिन, पारुल, देविका को लेकर एक घर जाति है काम करने के लिए, वहाँ पर “देविका”
उस घर के एक छोटे से बच्चे को TV देख कर बहुत ख़ुश हो जाति है, और देविका यही TV की माँग अपनी माँ
“पारुल” से करती है और यह तक बोलती है की उसको कार्टून देखना बहुत अच्छा लगता है।
“देविका” को अंदाज़ा भी नहीं था की उसके घर में कितनी ज्यादा ग़रीबी थी , “पारुल” इसी माँग को लेकर परेशान हो जाति है,
क्यूँकि घर के ख़र्चे चलाने के साथ साथ स्कूल की किताबों से लेकर फ़ीस और कपड़ों के लिए भी पैसे
चाहिए ओर इन सब के लिए “पारुल” के पास पैसे बहुत कम थे, बचपन से ही
“देविका” के लिए उसकी माँ एक “परी” से कम नहीं थी।
“पारुल” के लिए अब एक तरफ़ उसके शराबी पति की आदतें थी तो दूसरी तरफ़ उसकी बेटी की माँगें। एक
ओर बात, पारुल के लिए दुनिया में सबसे जादा ज़रूरी उसकी बेटी थी और कोई नहीं,बल्कि पति भी नहीं।
एक दिन रोज़ाना की ही तरह “पारुल” काम से लौट रही थी तभी उसके पास एक आदमी आया ओर उसको पैसों का
लालच देकर surrogate mother बनने का प्रस्ताव दिया, जिससे सुन कर “पारुल” ने उस शक्स को डाँटा
ओर भगा भी दिया।
अब यह सब होने के बाद, “पारुल” इसके बारे में सोचने लग गयी ,एक तरफ़ उसकी बेटी
और दूसरी तरफ उसकके ग़रीब परिवार की मजबूरियों ने उसको यह काम करने पर मजबूर कर दिया।
अगले दिन सुभा, “पारुल” को वही आदमी लेने आया ओर वो उसके साथ चली गयी। अब यह सिलसिला
दस - बारह दिन तक चलता रहा, अचानक एक दिन “पारुल” ने “उसकी बेटी देविका को एक नया TV लाकर दिया।
यह देखकर उसका पति “राजू” पूछने लगा की इतना पैसा कहान से आया, “पारुल” ने इसका कुछ जवाब नहीं दिया।
यह सब होने के बाद,“राजू” शक के नज़रिए से, “पारुल” का पीछा करने लगा।
लेकिन काफ़ी समय बाद भी उसको कुछ पता नहीं चला।
“राजू” ने “पारुल” को मारना शुरु कर दिया ओर उसके चरित्र पर लांछन भी लगाए, यह सब सुनकर
“पारुल” बहुत परेशान होने लगी, ओर ग़ुस्से मे आकर उसने कुछ ऐसा कहा, जिसे सुन कर “राजू” के दिमाग़
में लालच की किरण जाग गयी, परिवार मे किसी को भी भनक तक नहीं थी की इस लालच का अंजाम क्या होगा।
“पारुल” ने “राजू” को बताया की, वो किसी बड़े परिवार के लिए एक बच्चे को जनम दे रही है । उसके बदले वो उसको
3 लाख रुपए मिल रहे थे ।अब ज़रा सोचिए, की “राजू” जैसा अगर किसी का पति हो तो “पारुल” जैसी बीवी का क्या हाल
होगा। यह सब सुन तो रही थी “दीविका” लेकिन उसको कुछ समाज नहीं आ रहा था।
जैसे ही “पारुल” ने बच्चे को जनम दिया ओर उस परिवार को सौंपा , उसके बाद “राजू ओर पारुल “ को 3 लाख रुपए मिल गए।
पैसों का लालच “राजू “को ऐसा खागया की उसने पैसों के लिए,“पारुल” के शरीर का एक व्यापार ही बना दिया,
ओर 5 लोगों के ओर बच्चों को जन्म दिया ।
इस दौरान “देविका” को भटकाने के लिए उसके बाप ने उसको अपने दूर के रिश्तेदार के पास भेज दिया ।
अब “राजू” के पास एक गाड़ी और एक बंगला भी था। लेकिन वो कहते है ना की लालच का कोई अंत नहीं होता,
राजू के कहने पर जब “पारुल” ऐसे ही दसवे बच्चे को जनम दे रही थी, तभी डॉक्टर ने उसके पति “राजू” को चेतावनी
दी की इसके बाद कुछ भी आसान नहीं हो पाएगा लेकिन लालचि “राजू” को अपनी बीवी “पारुल” से भड़कर
अब पैसे से प्यार था क्यूँकि उससे वो दारू पीसकता था।
वो इतना लालचि होगाय था की जब डॉक्टर ने “राजू” से बच्चे और “पारुल” के बीच में किसी एक को चुन्नने को कहा,
तो उसने “बच्चे” को चुना ओर डॉक्टर से यह तक कह दिया की “उसे पारुल के मरने का कोई दुख नहीं होगा”
अब यह सुन कर डॉक्टर चोंक गया, और ऑपरेशन शुरू कर्दिया लेकिन जैसा कि डॉक्टर ने कहा था कि,
बच्चा या माँ म यह कोई एक बचेगा, तो ऐसा ही हुआ, आख़िर में डॉक्टर एक माँ को नहीं बचा पाए।
अब ज़रा सोचिए, एक बेबी ट्रेड ने एक माँ की जान लेलि, ओर यह सुन कर ओर भी दुख होता है,
की उसकी मौत का जीमेवार उसका अपना पति है।
अब कोई पैसा या बंगला नहीं है , बल्कि “राजू” जेल म है, आकिर हो भी क्यूँ ना , उसने काम भी तो ऐसा किया है,
अब उसका वही पैसा किसी काम का नहीं है।
अदालत ने यह सब सुनने के बाद, उसके बाप का इस बच्चे के व्यापार
से कमाया हुआ पैसा,उसकी बेटी “देविका” को संभाल रहे परिवार को दे दिया ।
अब उसकी बेटी 15 साल की होने वाली थी।
ज़रा सोचिए, इस बच्चे के व्यापार ने, “देविका” को अपनी माँ से जूदा कर दिया था ओर अब वही बेटी जिसके लिए
उसकी माँ एक “परी” थी, अब वो दोनो एक दूसरे से कभी नहीं मिल पाएँगे।
देखते ही देखते, राजू, पारुल ओर देविका का परिवार टूट गया। माँ ओर संतान जैसे शब्दों की इज़्ज़त करनी चाहिए,
लेकिन इन शदों से व्यापार करना एक बहुत बड़ा अपराध है ।
उम्मीद है भारत में बच्चों को बेचना और उसको व्यापार बनाना एक ना एक दिन ख़त्म ज़रूर होगा।
जय हिंद।
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